अम्बाला 17 अक्तूबर: गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केन्द्र सेवा समिति (रजि.) गांव बहबलपुर के बच्चों ने कीर्तन करके वाल्मीकी जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई और लंगर की सेवा भी लगाई। इस अवसर पर कथावाचक हरप्रीत सिंह मिसल बुढ़ादल निसाना वाली हरियाणा ने बच्चों को बताया कि महर्षि वाल्मीकि ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने तथा अपने पापों की क्षमा याचना करने के लिए कठोर तप किया। वाल्मीकि जी अपने तप में इतने लीन हो गए कि उन्हें इस बात का बोध भी नहीं हुआ कि उनके शरीर पर दीमक की मोटी परत जम चुकी है। जिसे देखकर ब्रह्मा जी ने उनका नाम रत्नाकर से बदलकर बाल्मीकि रख दिया। महर्षि वाल्मीकि जी के पिता का नाम प्रचेता और माता का नाम चर्षणी थाी। प्रचेता महर्षि कश्यप और आदिती की नौवीं संतान थे। महर्षि वाल्मीकि जी ने संस्कृत में रामायण की रचना की की। इस अवसर पर संस्था की प्रधान बीबी भूपिन्द्र कौर, सैक्रेटरी महान सिंह, पटियाला, सुखविन्द्र सिंह बहबलपुर, सुरजीत सिंह हुंमायूंपुर, स्वरूप सिंह बडौला, गुरचरण सिंह मरदोसाहिब, मनिन्द्र सिंह बडौला और गांव संगत, सरपंच साहिबान और सेवादार मौजूद रहे।
गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केन्द्र सेवा समिति के बच्चों ने कीर्तन और लंगर की सेवा करके मनाई महर्षि वाल्मीकि जयंती
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